मोर्चा करने नहीं जाओगी ?
लता: सरला बहिन , तुम अभी तक तैयार नहीं हुई ? मोर्चा पर चलना है ना ?
सरला : नहीं – तुम अकेली ही जाओ, मै नहीं आ रही ।
लता : ऐसे कैसे ? तुम तो सबसे ऊँचा बोलती हो , सच्चाई के लिए जी जान से लड़ती हो – तुम क्यों नहीं आओगी ?
सरला : सच्चाई के लिए जी जान से लड़ती हूँ – झूठ और फरेब के लिए नहीं !
लता: क्या बात कर रही हो यार ! तुमने शायद देखा नहीं किस प्रकार अजित ने प्रिया को मारा है – गाल सूज गए है और मुँह से खून भी निकला है – नारी निर्जतन का केस लगेगा उस पर !उसी का तो मोर्चा है ।
सरला : पता है मुझे , और मैं इस इलाके में पिछले २० साल से हूँ – प्रिया और अजित के बारे में मुझसे बेहतर और कौन जानेगा ?
लता : ओह ! क्युकी अजित तुम्हारा राखी भाई है – तो तुम उसको सपोर्ट करोगी ? अगर वो गलत हो तो भी ?
सरला : तुम क्या सचमुच जानती नहीं या भोली बनने का नाटक कर रही हो ? तुम्हे पता नहीं किस प्रकार प्रिया अपने यार को घर बुला लेती है जब अजित घर नहीं होता ?
लता : यार ? कौन ?
सरला : एक हो तो बताऊ ना ! इलाके की औरतों का जीना हराम कर रखा है इस प्रिया ने – जब देखो पराये मर्दो पर डोरे डालती रहती है – जो फस गया तो बस – अपने घर बुला लेती है जब पति घर पर नहीं होता – पत्नी के नाम पर सबसे बड़ा धब्बा है धब्बा ! अब तो वो अपने बेटे के उम्र के लड़को को भी फास रही है ! उसका खुद का बेटा ग्यारवी में पढ़ता है – उसके स्कूल के फ्रेंड्स के साथ भी लफड़ा चालू कर दिया है इस घटिया औरत ने !
लता: क्या बोल रही हो ! मुझे तो ऐसा कुछ भी नहीं पता !
सरला : अगर बुद्धि रखती हो तो देख लो खुद ही – इस इलाके की कोई भी औरत जा रही है मोर्चे पर? कभी जाएँगी भी नहीं – सच कहु तो बहुत से बीवियां खुश भी है की प्रिया को उसके पति ने रंगे हाथ पकड़ लिया और खूब पीटा ! सच में – पूरा इलाका तंग आ चूका है उसकी बचकानी हरकतों से ! बेशरम औरत – अपने बेटे के उम्र के लड़को को भी नहीं छोड़ती ये राक्षशी !
लता: तौबा तौबा ! फिर तो मैं भी न जाऊ इस कुलटा को सपोर्ट करने ! काश तुमसे कल बात कर ली होती – मैंने आज जल्दी जल्दी सब कुछ सलटा लिए – संडे के दिन मैं घर में स्पेशल खाना बनाती हूँ – लेकिन इस कुलटा के चलते बेचारे मेरे पति और बच्चे आज कुछ भी स्पेशल नहीं खा पाएंगे !
सरला : कोई बात नहीं – देर आये दुरुस्त आये !
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