Kalyug Briefs

Slow Death of Arun - Short Story in Hindi

अरुण की धीमी मौत

अरुण एक छोटी शहर का लड़का था. स्कूल में हमेशा अव्वल आता और अपने इलाके का सबसे होनहार लड़का माना जाता था. ग्यारहवीं कक्षा में ट्यूशन क्लास में उसकी पहचान प्रिया से हुई।  दोनों ही पढ़ने लिखने में बहुत अच्छे थे।  दोनों के माँ बाप भी एक दुसरे के परिचित ही निकले।  ऐसे में प्यार तो होना ही था!

इस प्रकार ५ साल तक प्रिया और अरुण की प्रेम कहानी उनके छोटे शहर में फ़ैल सी गई ! बहुत सी औरतें प्रिया की माँ से जलते भी थे – आखिर घर बैठे ही इतना अच्छा जमाई जो हाथ लग गया ! सब कुछ ठीक चल रहा था।  अरुण सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन गया।  प्रिया को पढ़ाना बहुत अच्छा लगता था इसीलिए वो टीचर की नौकरी में जुट गई।

अरुण के अच्छे परफॉरमेंस के लिए उसे एक बड़े शहर में नौकरी मिल गई।  सबने सलाह दी विवाह के पश्चात ही अरुण को बड़े शहर जाना चाहिए – आखिर प्रिया  की उम्र भी २३ की हो गई थी. लेकिन कुछ कारणवश विवाह का अच्छा मुहूर्त न निकल सका और अरुण को अकेले ही बड़े शहर जाना पड़ा. मुहूर्त ८ महीने बाद का था – तो घरवालों ने तै कर लिया की ८ महीने बाद ही विवाह धूम धाम से करा दी जाएगी !

अरुण बड़े शहर को निकल लिया – बड़े सपनो के साथ! बड़े शहर के दफ्तर का माहौल ही कुछ और था! लड़के लड़किया निहायती बेशर्मी से एक दूसरे से बतियाते और ऑफिस के रेस्ट-रूम में ही चुम्मा चाटा शुरू कर देते! अरुण ने ५ साल में शायद एक ही बार प्रिया को चूमा था – वो भी बहुत मिन्नतों के बाद वो राज़ी हुई थी ! ऐसे में अरुण उनके खुले आम बेशर्मी देख हैरान था!

कविता उसके टीम की एक सदस्य थी। एक दिन काम के खातिर देर रात तक सभी टीम मेंबर्स को रुकना पड़ा।  काम करते, कॉफ़ी पीते , खाना आर्डर करते और अड्डा मारते हुए अचानक कविता अरुण से बोली –

कविता – मेरे मम्मी पापा एक हफ्ते के लिए बनारस गए है – तुम चाहो तो आज रात मेरे ही घर रुक जाओ – रात के ११ तो बज ही गए है – तुम्हारा हॉस्टल तो बहुत दूर है – कितना समय लगता है ऑफिस से हॉस्टल जाने को?

अरुण – तकरीबन १ घंटा तो लग ही जाता है – और अब शायद ट्रैन भी न मिले। ….. लेकिन मैं अरविंद के घर जा रहा हूँ आज – वही सो जाऊंगा !

कविता – ओह! मैंने सोचा अकेले क्या करूँ – तुम चलते तो देर रात कोई फिल्म देखते – मैं अकेली हूँ न…

अरुण – तो विनोद को भी साथ ले लेते है (विनोद की ओर देखते हुए) – विनोद, कविता के घर चलें आज?

विनोद – क्यों – तुझे उसके घर अकेले जाने से डर लगता है क्या?

ये सुन कर वहां सभी हंस पड़े!

कविता (हँसते हुए) – फ़िक्र नॉट – मैं तुम्हारी इज़्ज़त नहीं लूट लुंगी !

अब अरुण के अहंकार को ललकारा गया था – वो कविता के साथ जाने को तैयार हो गया !

१२ बजे कविता ने अपने घर की घंटी बजाई। कामवाली बाई – सरला –  ने दरवाज़ा खोला और अरुण को देख कर चौंक गई।

कविता – सरला तुम सोने जाओ – हम खाके आये है।

सरला अरुण की ओर  देखती हुई – मंद हंसी – और अपने कमरे में चली गई !

कविता का घर बहुत ही बड़ा था – देख कर ही पता चलता था की वो बहुत अमीर है।  कविता अरुण को अपने कमरे में ले जाती है और बड़ा सी टीवी ऑन  करते हुए उससे पूछती है –

कविता – कुछ पियोगे क्या ?

अरुण उसके कमरे में फ्रिज देखता है और कहता है –

अरुण – कितने फ्रिज है भाई तुम्हारे घर में? नीचे भी एक देखा और तुम्हारे कमरे में भी है!

कविता – ऊफ – तुम फ्रिज काउंट कर रहे हो क्या? चलो बियर पीते है !

अरुण उसके घर की चका चौंद को देख कर हैरान हो गया ! कविता उसकी बहुत खातिरदारी करती है – हाल ही में कविता का ब्रेक उप हुआ था और रात ३ बजे तक कविता अपने बॉयफ्रेंड के बारे में बात करती रही.

सोने जाने से पहले कविता अरुण को किस करती है पर अरुण बोल उठा –

अरुण – मैं engaged हूँ – तुम्हे तो पता ही है न – प्रिया से मेरी शादी होने वाली है….

कविता – तो क्या ? पागल मत बनो – आज रात तुम यहाँ क्या कर रहे हो यह उसे पता कैसे चलेगा ? cctv लगा रक्खी है क्या वो तुम्हारे अंदर ?

इससे पहले की अरुण कुछ बोल सकता – कविता उसके साथ शारीरिक सम्बंद बनाने में कामयाब हो जाती है !

दुसरे दिन सुबह कविता अरुण को उम्दा नास्ता खिलाती है और दोनों ऑफिस चले जाते है !

दोपहर को विनोद अरुण से पूछता है –

विनोद – क्या यार – तुम तो बड़े खिलाडी निकले – छोटे शहर से आकर बड़ा खेल खेल लिए!

अरुण हक्का बक्का रह गया !

अरुण – क्या मतलब है तुम्हारा?

विनोद – इतने भी भोले नहीं हो तुम – अमीरज़ादी को प्रेमजाल में फंसा ही लिया आखिर!

अरुण – कैसा प्रेम जाल – पगला गए हो क्या?

विनोद – पगला तो वो गई है – पूरा ऑफिस जानता है की कल रात तुम दोनों के बीच क्या हुआ !

अरुण – क्या बकवास कर रहे हो – कौन बक रहा है अनाप शनाप?

विनोद – अच्छा – कविता खुद सबको यही बता रही है की उसकी ज़िन्दगी तुमने रंगो से भर दी – वो तुम्हारे लिए गिफ्ट्स खरीदने गई है – ऑफिस से छुट्टी लेके !

अरुण के होश का ठिकाना नहीं रहा जब उसने देखा की कविता उसके लिए सच मुच नए टीशर्ट और जीन्स लेके आ गई !

अरुण – यह सब क्या है कविता – तुम क्यों ले आई ये सब!

कविता – मेरी मर्ज़ी – अपने फ्रेंड के लिए मैं क्या इतना भी नहीं कर सकती?

अरुण – इतना खर्च क्यों किया? ये गलत है…

कविता – आज शाम हम जूते खरीदने जायेंगे – मैं अपने प्यारे से  फ्रेंड को शहर वालों जैसा स्मार्ट बना दूंगी! – तुम बस देखते जाओ!

अरुण – पर इन सब की क्या ज़रुरत है – यह ठीक नहीं….

इससे पहले अरुण और कुछ कहता कविता उसे अपने होटों से चुप करा देती है….

शाम को अरुण कविता के साथ मॉल जाता है – और वहाँ कविता उसके ऊपर १०,००० रुपये खर्च कर देती है।  फिर एक बड़े से होटल में जाके दोनों खाना खाते है – फिर दोनों कविता के घर जाते है और पिछले रात की कहानी फिर दोहराते है…

एक हफ्ते बाद अरुण कविता से पूछता है –

अरुण – तुम्हारे माता पिता के आने का समय हो गया है न….अब हमारा मिलना बंद?

कविता – अरे नहीं –  वो लोग दोनों विदेश में ही रहते है – यहाँ कभी कबार आते हैं।

अरुण – ओह – तुमने कहा था की एक हफ्ते……

कविता उसकी बातों को अनसुना करके शॉपिंग की बातें करने लगती है – अरुण – जो मध्यवर्गीय परिवार और छोटे शहर का था – उसके लिए कविता एक सपने के समान थी – जो केवल फिल्मों में ही संभव हो सकता था – लेकिन उसकी ज़िन्दगी में ये सब सच हो रहा था ! धीरे धीरे अरुण पूरी तरह से कविता के मोह जाल में घुसता चला गया…..

२ महीने बाद –

कविता – तुमने प्रिया को बता दिया है न हम दोनों के बारे में?

अरुण – बता दूंगा – थोड़ा वक्त दो मुझे…

कविता – और कितना वक्त चाहिए तम्हे – हम दोनों तो पति पत्नी की तरह ही रह रहे है – अब और क्या छुपाना?

अरुण – ५ साल का सम्बन्ध है मेरा उसके साथ – एक झटके में कैसे थोड़ दूँ – थोड़ा वक्त दो मुझे….

उस रात कविता अरुण के ड्रिंक्स में नशे की दवा डाल देती है जिससे वो बेहोश हो जाता है – फिर अपनी और अरुण की कुछ अर्ध नग्न तस्वीरें अरुण के ही मोबाइल से क्लिक कर – उसी समय प्रिया को भेज देती है !

रात के १२ बजे अरुण के मैसेज देख प्रिया चौक सी जाती है! कविता के बिस्तर पर सोते हुए अरुण को देख कर उसे अरुण से घृणा होने लगती है!

दुसरे दिन सुबह प्रिया और अरुण की लम्बी बात होती है – और इंगेजमेंट टूट जाती है!

अरुण (कविता से) – ये तुमने क्या किया कविता? ऐसी तस्वीरें क्या कोई भेजता है? ये तस्वीरें अब मेरे माँ बाप तक भी पहुंच जाएगी – छी छी – ये तुमने क्या किया?

कविता – क्यों – जब प्यार किया तो डरना क्या – जो मुझे ठीक लगा वही मैंने किया !

अरुण – अपनी ही अर्ध नग्न तस्वीर भेज दी तुम? तुमको कोई शर्म लाज कुछ है की नहीं?

कविता – बकवास बंद करो – मेरे घर में रहकर, मेरे बिस्तर में सोकर, मेरा ही खाना खाकर – मुझे सीखा रहे हो क्या गलत है और क्या सही? गाँव के तबेले से उठकर आज ५ स्टार होटल में खा रहे हो – किसके लिए? सारी ज़िन्दगी निकल जाती है लोगो की एक ५ स्टार होटल तक पहुंचने को – और तुमको सब आराम से मिल गया – मेरे लिए – और मुझे तुम लटका कर रखोगे एक गँवार के लिए?

अरुण कुछ डर सा गया – कविता के ऐशो आराम की ज़िन्दगी को वो छोड़ने की सोच भी नहीं सकता था – तो कविता के साथ बहस नहीं किया – चुप करके अपना काम करने लगा!

उधर गांव में तेज़ी से खबर फ़ैल गई की अरुण-प्रिया की प्रेम जोड़ी टूट गई !  बहुत से लोग खुश भी हुए – बस शर्मनाक हुए तो प्रिया और अरुण के परिवार वाले! प्रिया को दुखी देख उसके माता पिता ने जल्दी से उसका विवाह करवा देना ही ठीक समझा! तीन महीनो के अंदर प्रिया का विवाह हो गया और वो मुंबई चली गई !

७ महीने बीत गए – अरुण और कविता मौज मस्ती से अपने दिन गुज़ार रहे थे! एक दिन कविता के माँ का फ़ोन आता है –

माँ – कविता – तुमने वो तस्वीरें देखीं जो मैंने तुम्हे भेजी है?

कविता – हाँ माँ – कौन है वो इतना हैंडसम सा?

माँ- अरे राहुल है – अमरीका में jewelry का बिज़नेस है उसका – मेरी सहेली का बेटा है – मैंने तेरी बात उसके साथ चलाई है – अब बस तू जल्दी आजा – पहले लंदन – फिर दोनों एक साथ जायेंगे अमरीका !

कविता – लेकिन माँ – मुझे छुट्टी कहाँ मिलेगी…

माँ – शट-उप ! तुम अपने दो टके की नौकरी केवल टाइम-पास के लिए कर रही हो – तुम्हारे खर्चे उठाने के लिए ऐसा ही कोई अमीरज़ादा चलेगा – समझी! जल्दी पैक करो और आ जाओ !

कविता सारा दिन राहुल की तस्वीरें देखती है और सोशल नेटवर्क पर उसके लाइफस्टाइल निहारती है – बाद में ब्यूटी पारलर जाकर सारा दिन वहीं गुज़ार देती है!

शाम को अरुण मिलता है –

अरुण – अरे – क्या हुआ था – तुम आज ऑफिस ही नहीं आई – और फ़ोन भी नहीं उठाया – कहाँ थी सारा दिन!?

कविता – मुझे लंदन जाना है – कल ही – मम्मी की तबियत ख़राब है – मुझे जाना ही होगा! तुम प्लीज मेरा काम संभाल लेना और बॉस को बोल देना – ठीक है!

अरुण – लेकिन बॉस को तुम खुद ही बोल कर जाओ – मैं कैसे बोल सकता हूँ?

कविता – उफ़ – बोल देना की अर्जेंट था इसीलिए मैं ऑफिस नहीं आ सकी – इतना भी नहीं होगा तुमसे?

अरुण – ठीक है – रिलैक्स करो – मम्मी ठीक हो जाएँगी – तुम चिंता मत करो !

कविता – और हाँ तुम वापस शिफ्ट कर जाओ अपने फ्रेंड के साथ – शायद मम्मी वापस आ जाएँगी मेरे साथ – तो बेहतर होगा तुम अपना सामान लेके चलें जाना – ठीक है ?

अरुण – लंदन में ही इलाज करवाओ – इंडिया आने की क्या ज़रूरत है ?

कविता – ये मेरी मम्मी का घर है जानू – वो जब चाहे यहाँ आ सकती है – तुम कुछ दिनों के लिए शिफ्ट हो जाओ – जब मैं वापस आउंगी तो तुम्हे बुला लुंगी – ओके? तो अभी पैक करो और जाओ – प्लीज!

अरुण – आज ही?

कविता – हाँ आज ही – अभी – मैं पैक करने में तुम्हारी मदद करती हूँ।

फटाफट कविता अरुण के कपडे पैक कर देती है – अब राहुल पूरी तरह से कविता के मन मस्तिष्क में छा  गया था – कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली!

अरुण को गाड़ी से कविता उसके फ्रेंड के छोटे फ्लैट में ड्राप करके चली जाती है !

विनोद – क्या हुआ बे? तू वापस आ गया? कविता का मनोरंजन समाप्त?

अरुण – बकवास बंद कर – हमेशा मज़ाक – उसकी माँ बीमार है – वो लंदन जा रही है – दुखी है!

विनोद – अच्छा – कमाल है – माँ बीमार और बेटी ब्यूटी पार्लर में सारा दिन गुज़ार देती है!?

अरुण – ब्यूटी पारलर – तुम्हे कैसे पता?

विनोद – रितु बता रही थी – बहुत गाली दे रही थी उसे – अचानक फ़ोन करती है – और अपना पूरा काम रितु पर थोप दी !

अरुण – अरे तो इमरजेंसी में तुम दोस्तों का साथ नहीं दोगे – इसमें गाली देने का क्या हुआ?

विनोद – जनाब – रितु उसकी नौकरानी नहीं की वो पारलर में फेसिअल करें और रितु उसके काम पुरे करे !

अरुण – पारलर गई थी – यह कैसे पता?

विनोद – अरे यार – बैकग्राउंड आवाज़े सुन कर रितु समझ गई – अब मुझसे इतने सवाल मत कर – तू सोयेगा कहाँ? तेरा बिस्तर तो दूसरे को दे दिया गया है – तूने भाड़ा देना बंद कर दिया था न!

अरुण –  अरे हाँ ठीक है – एक या दो हफ़्तों में कविता वापस आ जाएगी – मुझे सिर्फ यहाँ कुछ दिनों तक ही रहना है!

विनोद – तो किरायेदार अंकल से बात कर लेना – उन्हें बताये बिना तू कैसे रहेगा यहाँ?

अरुण किरायेदार से बात कर एक महीने का भाड़ा दे देता है – और किसी तरह एक छोटे से बिस्तर पर सोने के लिए राज़ी हो जाता है – इतने बड़े घर में रहकर उसकी आदत बिगड़ गए थी – फिर भी किसी तरह वो मन मार कर कविता का इंतज़ार करता है….

कविता के लंदन जाने के बाद एक हफ्ते तक वो अरुण से फ़ोन पर बतियाती और लंदन की सैर कराती! अरुण मन ही मन लंदन जाने के सपने भी संजोने लगता है – आखिरकार सासु माँ लंदन तो लेके ही जाएगी दामाद को!

एक हफ्ते बाद अचानक कविता के फ़ोन आने बंद हो गए! अरुण पगला सा गया! ईमेल करने लगा – पर कोई जवाब नहीं!

उसे परेशान देख कर रितु बोली –

रितु – क्या बात है अरुण? तुम्हारा काम में कोई मन नहीं – किस चिंता में पड़े हो?

अरुण – एक हफ्ता हो गया कविता फ़ोन नहीं उठा रही! न ईमेल का जवाब – तुमसे बात हुई क्या?

रितु – अरुण बेहतर होगा की तुम उसे भूल जाओ!

अरुण – मतलब? ऐसे कैसे भूल जाऊ? बेचारी की माँ ज़िंदा है या गुज़र गई – पता नहीं – और ऐसे में मैं उसे छोड़ दूँ?

रितु – कमाल है – तुम्हे  पता है न – की कविता ने अपना स्तीफा दे दिया है?

अरुण – स्तीफा?! कब? मुझे तो नहीं पता!

रितु – ओह! तुम इंस्टाग्राम में नहीं हो क्या?

अरुण – नहीं – मैं इन सब चीज़ो में वक्त ज़ायर नहीं करता….

रितु – अच्छा – तो मेरे इंस्टाग्राम में ही देख लो क्या गुल खिला रही है कविता – अपने नए बॉयफ्रेंड के साथ – ये देखो…

अरुण कविता और राहुल की तस्वीरें देख कर चौंक जाता है!

रितु – फोटो के नीच जो लिखा है वो भी पढ़ लो – soon to be engaged !

अरुण  की ज़िन्दगी एक क्षण में बदल जाती है! यहाँ वो लंदन जाने के सपने संजो रहा था और वहां कविता को कोई और मिल गया था – यानि सारी शान ओ शौकत पल भर में गायब!

सब अरुण को सहानुभूति की नज़र से देख रहे थे! अरुण शराब के नशे में धुत होकर बिलक बिलक कर रोता है…. प्रिया को तो खो ही चूका था – अब कविता भी लाथ मार कर चली गई !

विनोद – अरुण – सब तेरी ही गलती है – जिस दिन रात को उसने तुझे बुलाया था – उसी दिन तुझे खुद को रोक लेना चाइये था – कविता हर ६ महीने में बॉयफ्रेंड बदलती है – ये हम सब जानते है – पर तुझे हमारी बातें तब कड़वी लगती थी न – अब देख ले – छोड़ कर चली गई न!

अरुण – अबे यार – वो मेरे साथ सब कुछ कर चुकी है – हम पति पत्नी की तरह उसके घर में रहते थे!

विनोद – तुझसे पहले भी वो ५-७ लड़को के साथ पति पत्नी का सा सम्बन्ध बना चुकी है – उसके लिए सेक्स एक मनोरंजन है – प्यार नहीं!

अरुण – ऐसा हो ही नहीं सकता! कितनी रातें हमने सिर्फ बात करते गुज़ार दी – मुझे लगता है उसके साथ जबरदस्ती की जा रही है…..

विनोद – अरुण – जितनी जल्दी तू उसका खेल समझ ले – उतना तेरे लिए बेहतर होगा – सोच कर तो देख – उसने तुझे ही क्यों चुना? क्युकी तू नया था और उसके बारे में तुझे कुछ नहीं पता था – तुझसे ज़्यादा स्मार्ट और अमीर लड़के है हमारी ऑफिस में – और तकरीबन सभी उसे चक भी चुके है……अब और मैं क्या बोलू – मुझपर भी डोरे डालने की कोशिश की थी उसने – पर रितु ने मुझे बहुत पहले ही सावधान कर दिया था!

अरुण – तो मुझे ये सब क्यों नहीं कहा?

विनोद – याद करके देख अरुण – एक बार नहीं बहुत बार कहा – लेकिन तू सुनना ही नहीं चाहता था….. तुझे गिफ्ट्स और बड़े घर की लथ जो लग गई थी..

कुछ दिनों बाद रितु अरुण को कविता के शादी के तस्वीरें दिखाती है. अरुण टूट कर बिखर सा गया – जितना कमाता – शराब में ही उड़ा देता – घर में पैसा भेजना तो दूर – घर से पैसे मंगवाने लगा! घरवाले उसे विवाह के लिए कहने लगे – पर अब छोटे शहरों की लड़कियों में उसे कोई दिलचस्पी नहीं रही! वो पैसा खर्च कर बड़े नाईट क्लब में जाता – ये सोच कर की किसी बड़े घर की लड़की को पटा लेगा – कोई पटी तो नहीं – पैसे और खर्च हो गए! नाईट क्लब जाकर उसे ये समझ आया की उसी की तरह कंगाली लोग वहाँ अमीर लड़का/ लड़की पटाने जाते थे!

कभी कबार अपने  गाँव जाता और प्रिया के दर्शन भी हो जाते! प्रिया अपने दो बच्चो के साथ मइके आई हुई थी – उसके पति की दुबई में नौकरी लग गई थी और वो बच्चो समेत दुबई जा रही थी – प्रिया उसके सामने से गुज़र जाती और उसकी ओर देखती भी नहीं थी!

दिन गुज़र गए, साल गुज़र गए – अंततः जब अरुण ३८ साल का हुआ तो उसने २० वर्षीय अनीता से विवाह किया – अनीता उसे नाईट क्लब में मिली थी और वो भी बाकि कंगालियों की तरह किसी आमिर लड़के को पटाने की कोशिश में थी।  अरुण उसे बेहला फुसला के शादी कर लेता है।  २-४ महीने ठीक से गुज़ारा भी हुआ – बाद में अरुण को पता चला की अनीता का बॉयफ्रेंड रोज़ उसी के घर आकर, AC चलाकर , उसी का खाना खाकर अय्याशी कर रहा था ! गाली गलोच और जूता लात खाने के बाद अनीता विनती करती है की उसे घर से न निकाले – झोपड़पट्टी में रहने वाली अनीता को बड़े घर की आदत जो पड़ गई थी!

इस प्रकार अरुण अनीता के साथ एक घर में रहने लगा – उसकी ख़्वाहिशें पूरी करता चला गया – और अनीता भी छुपते छुपाते अपने लफड़े कायम रखने लगी – – आखिरकार अरुण एक अधेड़ उम्र का बुड्ढा था – अनीता को जवान मर्द अधिक पसंद थे !! अरुण सारी ज़िन्दगी सच्चे प्यार की खोज में नाईट क्लब में शराब और शबाब के बीच धीमी मौत मरता चला गया!

अपर्णा गंगोपाध्याय,
लेखिका

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