Kalyug Briefs

Lakshman Rekha & Agni Pariksha – The significance

Lakshman Rekha & Agni Pariksha – The significance

The often discussed topics from the Holy Epic – Ramayana – Lakshman Rekha & Agni Pariksha

About Lakshman Rekha:

The line of protection drawn by Shri Lakshmna (incarnation of Shri Sesh Naag) for Mother Sita.
Treta yuga was the time when women of the families hardly came outside – they usually remained inside their houses/ palaces.

The outside world was not very safe for them because the demons and demonesses were always loitering around searching for a prey!

Even spiritually powerful saints and sadhus engaged in havan/ yagya were disturbed by the demons – because of which Sage Vishwamitra, who was the Guru of Shri Rama and Shri Lakshmna , took them to those areas that were infested by demons – so that they could kill the evil doers!

Thus one can understand how dangerous it was for women to come out alone – they could be easily attacked and abducted by the demons!

Under such circumstances, Shri Lakshmana drew the ‘line of protection’ and infused it with a powerful mantra so that if anyone dares to cross the line, he would be instantly burnt to death!
This is called the ‘Line of Maryadas’ drawn by responsible men for the protection of their women.
But as was destined – Ravana came in the garb of a saint and asked Sita Mata for some food/ fruits – for he knew if he crossed the line – he would have died instantly – yes- the mighty king of demons – Ravana – who had all the planets/ constellations under his feet, who had defeated the king of Gods – Indra –  would have been burnt alive had he crossed the line of protection – drawn for the safety of ‘chastity and purity’ of women!

Mother Sita and Shri Rama were divine incarnations – they had come to teach lot many things to mankind – one of the most important things – esp. for women- being: Not to cross the line of maryadas – or else your life will be doomed!

The chastity of shakti (woman) is of utmost importance and if it gets blemished, untold miseries fall upon her! And this is what exactly Mother Sita – the incarnation of Mahalakshmi Herself – showed to the world – to the world that was during the Treta Yuga. Too much expectations from women during Treta yuga! Since Mother Sita was born during that period  – she went through all that usually happened to women during those times. How their men made strict rules and how they were supposed to abide by the rules – for their own safety of course.

At the same time, Mother Sita was also gullible ( as any woman would be – till date in fact – this is Kaliyuga going on!)  so when Ravana claimed to curse her husband for not giving him food by crossing the Lakshman Rekha – she immediately crossed the line only to give him the fruits – but was abducted …..and her life was doomed from that moment onwards!

About Agni Pariksha:

Shri Rama had to organize the Agni Pariksha –  for the Monkey Army he had hired from King Sugriv.
Shri Rama was the King of Ayodhya – he had helped Sugriv to win back his kingdom from his brother Bali so in return, Sugriv had agreed to help Shri Rama find Mother Sita who had been abducted by demon king Ravana.
During the war, several soldiers from Sugriv’s side also died – so it was but natural for those Army personnel to know exactly why were they fighting a war for some foreign King – unknown to them!
Plus Shri Rama was an incarnation who incarnated to give the necessary impetus for social evolution. He had to introduce concepts like :

 

लक्ष्मण रेखा – मर्यादा की रेखा:

श्री लक्ष्मण जी द्वारा खींची गई रेखा पुरुषो द्वारा बनाइ गई मर्यादाओं की वो रेखा है जिसके उलंगन करने से स्त्री पर विपत्ति आ सकती है ।

पहले स्त्रियां घरों में अधिक रहती थी खासकर त्रेता युग में जहाँ बड़े बड़े संत साधुओं के हवन कीर्तन में भी दखल देते थे राक्षस और दानव ! क्युकी पुरुष बाहर की दुनिया देखे हुए थे , वो जानते थे की किस प्रकार की विपत्तिया एक अबला नारी पर  आ सकती है ! ज़ाहिर सी बात है की अपने माताओं , बहनो , बेटियों – यानि घर की स्त्रियों की रक्षा करना उनका परम धर्म हुआ करता था ।

ऐसे में सीता माता के लिए  श्री लक्ष्मण जी ने ‘लक्ष्मण रेखा ‘ उनकी सुरक्षा के लिए खींची थी ।
जिस मुहूर्त सीता माता ने उस लक्ष्मण  रेखा को पार किया – उसी वक्त उनके जीवन में विपत्तिया टूट पड़ी ! अग्नि परीक्षा के बावजूद उन्हें  राज्य से बहिष्कृत किया गया ! हाँ , इतनी ही delicate, और fragile, हुआ करती थी महिलाओं की ज़िन्दगी – उसी युग को मद्दे नज़र रखते हुए वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना की थी – वो जानते थे की किस प्रकार मर्यादा के उलंघन करने पर स्त्रियों को किन कठिनाइयों से गुज़ारना पड़ता है ! और स्वयं महालक्ष्मी अवतार सीता माता ने भी यही सीख देनी चाही की मर्यादाओं का उलंगन स्त्रियों पर बहुत भरी पड़ सकता है !

सीता माता और श्री राम ईश्वर के अवतार थे – वो पृत्वी लोक में टहलने नहीं आये थे – वो लोगो को दुनियादारी का पाठ पड़ने आये थे – धरती पर social-evolution-  करवाने आये थे – धर्म की स्थापना करने आये थे । उस समय के जैसे हालात थे – उसी में रहकर धर्म युद्ध करवाना सिखाया श्री राम जी ने !

और हाँ – सबसे ज़रूरी बात – मर्यादाये और धर्म के  नियम – कानून धार्मिक लोग ही समझ सकते है – धार्मिक लोगो के लिए ही है जो ईश्वर को मानते और पूजते है – न की अधार्मिक राक्षसो और दानवो के लिए – वो तो अपनी मन मानी ही करेंगे – उन्हें मनुष्यों  की चेतना, जाग्रति  और धार्मिक रीत रिवाजो से   कोई मतलब नहीं – जैसे रावण को ही देख लो – पराई स्त्री को उठा लिया और उसी की बहन सूर्पनखा को देख लो – अकेले जंगलो में घूमती फिरती –  शादी शुदा और बच्चो की माँ होने के बावजूद – पराये मर्द  पर डोरे डालने के लिए प्रस्तुत थी !

अग्नि परीक्षा किस लिए की गयी थी ?

श्री राम जी को अग्नि परीक्षा का आयोजन करवाना पड़ा था – वो इसलिए की सैकड़ो वानर सेना के सिपाही  मारे गये  थे ! श्री राम जी उनके राजा भी नहीं थे – वानर राज सुग्रीव के राज्य की  सेना ने रावण जैसे शक्ति शाली राजा पर हमला बोल दिया था – रावण अपने ज़माने में काफी famous- रहा  होगा – ज़ाहिर है उसके पराक्रम के बारे में वानर सेना को पता भी था – लेकिन किसि भी राज्य की  सेना कब मरने मिटने को तैयार होती है ? तभी जब उनके राज्य पर कोई हमला करे – यानि अपनी मातृभूमि की सुरक्षा के लिए सिपाही अपने जान पर खेल जाते है !

ऐसे में श्री राम सैनिको को ले गये धर्म युद्ध करवाने ! ज़ाहिर सी बात है की सैकड़ो सैनिक मारे भी गये – तो ऐसे में क्या उन्हें यह दिखाना अनिवार्य नहीं हो जाता – की आखिर वो किनके लिए लड़ रहे  है ! वानर सेना का एक और मतलब है – यानि ‘evolution-of-early-man- to- civilized man’ – यानि स्त्री के  मर्यादा की सुरक्षा करना भी पुरुषों का दायत्व/ ज़िम्मेदारी है ! और उन्हें यह भी दिखाना  था की एक पवित्र और शालीन नारी  की कितनी शक्ति होती है – इतनी की अग्नि भी उन्हें नहीं जला सकते ! यही तो social-evolution- है – जितनी पवित्र होगी स्त्री उतने ही illustrious-शानदार होंगे उनकी संतान – शानदार संतान यानि ऐसी नसल जो रामराज्य को कायम रख सके !

श्री राम जी को ये भी establish- करना  था की युद्ध केवल अपने  राज्य की सीमाएं बढ़ाने के लिए नहीं होती – अपने हख और self-respect- से जीने के लिए भी की जाती है – सत्य मेव जयते ! जो धर्म ‘बहुजन हिताये बहुजन सुखाये ‘ को कायम रखने में सक्षम है उसी धर्म की हमेशा जीत होती है !

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