क्या कहना- Film Review @kalyugbriefs.com
फिल्म में अविवाहित लड़की अपने यार के साथ कॉलेज की पीछे एक बगिया में जा कर – नीले गगन के तले – माँ बनने की प्रक्रिया को पूरा कर डालती है !
दुर्भाग्यवश वो गर्भवती हो जाती है (नहीं होने पर शायद बगिया में रोज़ फूल खिलाती ). उसके माता पिता और भाई बहन चाचा मामा ताऊ – सब परेशां हो जाते है और पिता लड़के के घर वालो से भीख मांगने जाता है की उसकी बेटी से विवाह कर ले ! दोनों माँ और बेटा लड़की के पिता की खिल्ली उड़ाते है और उनका अपमान करके घर लौटा देते है !
अब घर वाले बोलते है की abortion करवाना ही ठीक रहेगा – क्युकी लड़के ने शादी से साफ़ मना कर दिया था ! लेकिन बगिया में फूल खिलाने वाली लड़की के दिमाग में तो भूसा भरा था – वो ज़िद करती है की वो बच्चा जन्म देगी और भरा पेट लेकर कॉलेज भी जाती है और सब उसकी नीच हरकत के लिए उसका अपमान भी करते है (बरहाल बॉलीवुड की नज़रिये से सब छोटी सोच के थे न – इसलिए teenage लड़की के गर्भवती होने को अपमानजनक और बेशर्मी की हरकत ही सोच रहे थे )
अब हुआ ये की भारतियों को टोपी कैसे पहनाया जाये – क्युकी कोई भी भारतीय संस्कारी परिवार ये कतई मानने को तैयार नहीं होगा की teenage लड़की कॉलेज में पढ़ाई की जगह प्रेग्नेंट होकर आ जाये – और परिवार वाले हंसी ख़ुशी बिन बिहाये लड़की के बच्चे के आने का ख़ुशी में मौज मस्ती करे ! तो बॉलीवुड को तरकीब सूजी जो हमेशा काम आ जाती है – वो यह की बच्चा श्री कृष्णा का रूप होता है इसलिए गर्भपात करवाना अनुचित होगा ! वाह ! कमाल है!
बॉलीवुड को ये बताना था मुझे की औरत के गर्भ से केवल श्री कृष्णा ही नहीं बल्कि कंस, दुरयोधन , जरासंघ , रावण भी निकल सकते है – खासकर ऐसे गर्भ से जिसे कोई लाज शर्म है ही नहीं – जो खुले आकाश के नीचे अपना काम तमाम करके आ जाती है !!
अंत में – क्युकी फिल्म ख़तम करनी थी – तो एक गरधब किस्म का लड़का राज़ी हो जाता है उस लड़की से विवाह करने और उसके बच्चे को अपनाने – उस लड़के को पहले वो लड़की बिलकुल घास नहीं डालती थी पर बाद में शादी कर लेती है !
तो इस फिल्म के ज़रिये बॉलीवुड हमें ये सीखा रहा है की लड़कियों को हक़ है शादी से पहले गर्भवती होने का और लड़को को ये उचित है की उन्हें support करे – और जिस किसी का भी बच्चा क्यों न हो – उसे अपना ले – मान सम्मान मर्यादा जाये भाड़ में !
वाह ! क्या कहना !
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